नौमी तिथि मधु मास पुनीता । सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता ॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा । पावन काल लोक बिश्रामा ॥
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी ।
हर्षित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी ।
....तुलसीदास
No comments:
Post a Comment